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रेगिस्तान में बनाई अनोखी नर्सरी, खेती के साथ हुई 20 लाख तक कमाई, पढे इस किसान की अनोखी कहाणी..

आज पूरी दुनिया पानी

की कमी की समस्या से जूझ रही है. किसानों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ रहा है. राजस्थान के ज्यादातर इलाकों में पानी की कमी के बावजूद किसान फसलों से बेहतरीन उत्पादन ले रहे हैं. ऐसे ही किसानों में शामिल हैं जोधपुर के सीताराम सेंगवा. 42 साल के किसान खेती के साथ बूंद-बूंद पानी का इस्तेमाल करके उन्नत किस्म के पौधे तैयार कर रहे हैं. आज उनकी नर्सरी में तैयार उन्नत पौधे देशभर में लगाये जा रहे हैं. सफलता के इस सफर में केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने भी सीताराम का खूब साथ दिया है. यही कारण है कि आज खेती में बचत और बागवानी का नुस्खा अपनाकर आज सीताराम सेंगवा 20 लाख तक सालाना आमदनी ले रहे हैं.

42 साल के सीताराम सेंगवा जोधपुर की भोपालगढ़ तहसील के पालड़ी राणावता गांव में खेती करते हैं. यहां 25 बीघा खेत के साथ उन्होंने उन्नत पौधों की नर्सरी में तैयार की है. अपनी पत्नी दो बेटियों और बेटों के साथ मिलकर आज सीताराम अच्छी आजीविका कमा रहे हैं. एक समय वह भी था, जब स्कूल पूरा करने के बाद उनके सारे दोस्त सरकारी नौकरी की तैयारी करने लगे. तब साल 2001 में सीताराम का मन खेती में ही जमा रहा. 22 साल की उम्र में खेती शुरू करने के बाद आद राज्य सरकार और वैज्ञानिकों से कई तरह के सम्मान भी अपने नाम करवा चुके हैं.

नर्सरी में लगाए तमाम वैरायटी के पौधे

अभी तक तो सीताराम सेंगवा पारंपरिक खेती ही कर रहे थे, लेकिन साल 2018 में काजरी की वैज्ञानिक अर्चना वर्मा से बागवानी की ट्रेनिंग लेने के बाद नर्सरी का काम भी शुरू कर दिया. खेती के साथ-साथ नर्सरी प्रबंधन में वैज्ञानिक तकनीकों की मदद से सीताराम सेंगवा ने हजारों उन्नत पौधे तैयार किए. आज उनकी नर्सरी में गोभी के 20 हजार, टमाटर के 20 हजार, बैंगन के 20 हजार, खेजड़ी के 7 हजार, चंदन के 2 हजार, शीशम के 3 हजार, बेर के 10 हजार, ताइवान पपीते के 5 हजार, सहजन के 10 हजार, आंवला के 3 हजार, अमरूद के 2500, अनार के 3 हजार, गूगल धूप के 1500, करोंदा के 2 हजार, नीम के 2 हजार, मालाबार नीम के 5 हजार और नींबू के 5 हजार उन्नत पौधे बिक्री के लिए तैयार हैं.

उन्नत बीजों से तैयार ये पौधे ही सीताराम सेंगवा की सफलता की असली कुंजी है. यही कारण है कि पिछले साल उन्होंने 70 से 80 हजार पौधे बेचे हैं. आज हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश और राजस्थआन के जोधपुर, बाड़मेर, बालोतरा, सीकर, नागौर, बीकानेर और जालौर के किसान भी उन्नत पौधे खरीदने के लिए आते हैं. सीताराम सेंगवा सिर्फ उन्नत किस्म के पौधे तैयार ही नहीं करते, बल्कि उनकी होम डिलीवरी भी करवाते हैं.

खेती के लिए अपनाया यह तरीका

वैसे तो सीताराम सेंगवा साल 2001 से ही खेती किसानी में जुट गए थे, लेकिन साल 2011 में केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान यानी काजरी के संपर्क में आने पर नवाचार और नई तकनीकों को अपनाया. इससे पहले मूंग, बाजर, ग्वार और सरसों जैसी फसलों से सालाना 30 हजार तक आमदनी हो रही थी. लगातार पारंपरिक फसलों की खेती करने के कारण जमीन बंजर और भूजल स्तर भी करीब 900 फीट नीचे तक पहुंच गया था. इससे फसलों का उत्पादन कम हो गया और खेती में लागत बढ़ने के बावजूद आमदनी नहीं हो पा रही थी.

साल 2011 काजरी संस्थान के वैज्ञानिकों से मिलने के बाद सीताराम सेंगवा ने बागवानी फसलों की तरफ से रुख किया. यहां वैज्ञानिकों ने टपक सिंचाई, उन्नत किस्म के बीज तैयार करने और बागवानी खेती से कमाई के बारे में जाना. सीताराम सेगवा ने खेतों में जैविक खाद डाली, 2012 में ट्यूबवेल लगवाया और 4 हेक्टेयर जमीन पर ड्रिप सिंचाई से खेती करने लगे. इसकी के साथ-साथ पानी की बचत के लिए एक फार्म पॉन्ड भी बनवाया. वैज्ञानिकों के बताये तरीकों से खेती करने के बाद जीरा, सरसों, मूंग के नए और उत्तम बीजों से खेती करने पर 2 लाख तक की आमदनी होने लगी.

बागवानी के साथ की डेरी फार्मिंग

साल 2013 तक काजरी संस्थान के वैज्ञानिकों से मिले ज्ञान और ट्रेनिंग के आधार पर सीताराम सेंगवा ने जीरा, धनिया और लहसुन जैसे तमाम मसालों की खेती शुरू कर दी. इससे प्रोडक्शन तो अच्छा हुआ ही, जैविक विधि अपनाने पर बाजार में मसालों के दाम मिलने लगे. मसाले बेचकर सीताराम की आमदनी तो बढ़ गई, लेकिन घर के खर्च पूरे करने के लिए इतना काफी नहीं था. उन्होंने 2015 में डेयरी फार्मिंग भी की. इसके बाद साल 2017 में थारशोभा खेजड़ी के 100 पौधे भी लगाए.

आज सीताराम सेंगवा जमीन के साथ मेड़ों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. इन मेड़ों पर देसी खेजड़ी के 250 पौधे, थारशोभा के 100 पौधे और बूंदे के 150 पेड़ लगाए हुए हैं. इसके अलावा रोहिड़ा, आंवला, आडू, शीशम, कुमट, नीम और अनार के पौधों के साथ भी बागवानी कर रहे हैं. सीताराम सेंगवा अपनी 25 बीघा जमीन पर बाजरा और सरसों की फसल के साथ सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं. इससे सालाना 4 से 5 लाख रुपये की आमदनी हो रही है. वही नर्सरी के उन्नत पौधे बेचकर 10 लाख तक कमाई हो जाती है.

खुद आत्मनिर्भर बने और किसानों को दिया रोजगार

आज सीताराम सेंगवा खेती और बागवानी के जरिए आत्मनिर्भर बने हैं. साथ ही गांव की तमाम महिला और किसानों को भी रोजगार दे रहे हैं. खेती में उनका यह सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा. खेती में सीताराम सेंगवा के योगदान के लिए काजरी संस्थान ने सम्मानित भी किया है. इतनी उपलब्धियां हासिल करने के बाद सीताराम को गर्व है कि वो किसान हैं. सीताराम बताते हैं कि मेरे कई दोस्त सरकारी नौकरी कर रहे हैं और उन्हें मेरे काम पर काफी गर्व है. मेरे दोस्त कहते हैं कि तुम्हारा फैसला सही था और सीताराम भी यही मानते हैं कि नौकरी ना करके खेती करने का उनका फैसला एकदम ठीक था.


 

Krunal Shah

Krunal Shah is born and brought up in Jaipur, Rajasthan. He is Content Writer in tech, entertainment and sports. He has experience in digital Platforms from 3 years. He has obtained the degree of Bachelor of Journalism and Mass Communication in 2018 from CCS University of Rajasthan Jaipur . official email :[email protected], Author at Yuvakatta. Our enthusiasm for writing never stops Phone : +918460001010

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