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क्यों इतनी खास है अमिताभ बच्चन के घर लगी 4 करोड़ की बैल वाली पेंटिंग? बनाने वाले कलाकार हैं बेहद खास

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अमिताभ बच्चन ने

ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की है.इस तस्वीर में एक बैल की पेंटिंग नजर आ रही है.इस पेंटिंग की कीमत सुनकर आपका मुंह खुला रह जाएगा.अमिताभ बच्चन के साथ तस्वीर में नजर आ रही पेंटिंग की कीमत 4 करोड़ रुपए है.दीपावली के अवसर पर अमिताभ बच्चन में अपने परिवार के साथ तस्वीर शेयर की थी.इसमें अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, अभिषेक बच्चन और श्वेता बच्चन-नंदा नजर आ रहे थे.

तस्वीर शेयर

करते हुए अमिताभ बच्चन ने लिखा था, ‘कुछ तस्वीरों में बैठने का तरीका नहीं बदलता, समय बदल जाता है. अब इस तस्वीर पर कई लोगों ने कमेंट किया है.वहीं इस तस्वीर में नजर आ रही बैल की तस्वीर ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है.कई लोगों ने पूछा है कि क्या इस तस्वीर को फिल्म वेलकम के मजनू भाई ने बनाई है.

वहीं एक वेबसाइट

के अनुसार इस पेंटिंग को मनजीत बावा ने बनाया है जो कि धुरी पंजाब में पैदा हुए हैं.इस पेंटिंग की कीमत सुनकर आपका मुंह खुला रह जाएगा.यह पेंटिंग 4 करोड़ रुपए की है.इतने पैसे में कोई भी मुंबई में 2 बीएचके घर खरीद सकता है.

इससे पहले

अमिताभ बच्चन ने इस पेंटिंग की खूबसूरती की बताई थी.उन्होंने कहा था, ‘बैल शक्ति, साहस और आशावादी की निशानी है.कोई भी व्यक्ति इस तस्वीर को अपने घर में रखकर वित्तीय परिस्थितियों में लाभ ले सकता है.यह आपको बुरी नजर से भी बचाता है.इससे नेगेटिव एनर्जी भी दूर रहती है.अमिताभ बच्चन फिल्म अभिनेता हैं.उन्होंने कई फिल्मों में काम किया है.इन दिनों वह कौन बनेगा करोड़पति होस्ट कर रहे हैं.अमिताभ बच्चन की फिल्में काफी पसंद की जाती है.वह जल्द रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के साथ फिल्म में नजर आनेवाले है.इसके अलावा वह और भी कई कलाकारों के साथ काम कर रहे है

चित्रकला की शिक्षा के लिए मंजीत बावा ब्रिटेन भी गए,वहां उन्होंने सिल्कस्क्रीन पेंटिग की कला सीखी और 1964 से 1971 तक ब्रिटेन में रहकर बतौर एक सिल्कस्क्रीन पेंटर कार्य किया.भारत वापस आकर उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं और सूफी पात्रों को अपनी चित्रकला का विषय बनाया.

मंजीत बावा

का जन्म 29 जुलाई 1941 को पंजाब के धूरी शहर में हुआ था.एक चित्रकार के साथ-साथ उन्हें एक कुशल बांसुरी वादक के रूप में भी जाना जाता है.सूफी गायन और दर्शन में वे विशेष रुचि रखते थे. मंजीत बावा ने बचपन में महाभारत की पौराणिक कथाएं, वारिस शाह के काव्य और गुरू ग्रन्थ साहिब को सुना और उनसे प्रेरणा प्राप्त की.चित्रकला में उनका अपना अलग अंदाज था.

भारतीय पौराणिक

कथाओं को मंजीत बावा ने अपने चित्रों में नए तरीके से प्रस्तुत किया.जैसा कि लगभग हर चित्रकार को प्रकृति से गहरा लगाव होता है,मंजीत बावा भी प्रकृति प्रेमी थे उन्होंने अपने चित्रों में पशु-पक्षियों और प्रकृति को विशेष महत्व दिया.मंजीत बावा देश के कई स्थानों में घूमें और वहां के दृश्यों का चित्रण भी किया.अपने चित्रों में उन्होंने पाश्चात्य रंगों से हटकर परंपरागत भारतीय रंगों लाल, बैंगनी, पीले रंगों का इस्तेमाल किया.

मंजीत बावा की

बनाई पेंटिंग्स करोड़ों रूपए तक भी खरीदी गईं.हाल ही में उनकी बनाई एक पेंटिंग ऑनलाइन नीलामी में 1.7 करोड़ में बिकी.अपनी पेन्टिंग्स में मंजीत बावा ने श्रीकृष्ण-राधा, माँ काली और भगवान शिव के चित्र तो बनाए ही साथ ही हीर रांझा जैसे चरित्रों को भी जगह दी.अपनी चित्रकला में उन्होंने सूफी संवेदनाओं का समकालीन भारतीय कला में समावेश किया.

मंजीत बावा को उनकी

अद्भुत चित्रकारी के लिए कई पुरूस्कार भी मिले.1963 में उन्हें सैलोज पुरस्कार से सम्मानित किया गया.1980 में ललित कला अकादमी से उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और सन् 2005-06 में उन्हें प्रतिष्ठित कालिदास सम्मान प्राप्त हुआ.उनके जीवन पर बुद्धदेब दासगुप्ता द्वारा बनाये वृत्तचित्र ‘मीटिंग मंजीत’ को ‘नेशनल अवार्ड फॉर बेस्ट डाक्यूमेंट्री’ का पुरस्कार मिला.

 

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